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Saturday, October 30, 2010

अन्धकार ही अन्धकार है

बहुत दिनों से सोचा , की कुछ ऐसा लिखू,
जिस माट्टी में जनम लिया, शोभा उसकी बड़ा सकू
बुलंद होंसलो से में, आवाज को उठा सकू ,
लेकिन ये सोचा न था , बेठे है द्रोही इसकी गोद में,
दबे है खुद , दबायेंगे तुझे ,
भ्रस्त्ताचार, लोभ, माया ये |


जिस देश में गुरु इश्वर था ,
मानवता थी, प्यार था ,
आज चारो तरफ अन्धकार ही अन्धकार है
राम रहीम के देश में,
आज अन्याय है, दुराचार है |


संस्कृति की रक्षा के नाम पर,
कट्टरपंथियों का बोल बाला है,
बेक़सूर पिस्ता जा रहा,
दोषी हो रहा बलवान है |
हे राम , तेरे देश में आज अन्धकार ही अन्धकार है


राम राज के नाम पर, मांगे है ये वोट सभी ,
रामराज का तो पता नही , राम रहीम को लडाते है यही,
मंदिर मस्जिद की लडाई में,
आज पिस रहा निर्दोष है ,
आज चारो तरफ अशांति है,
मन में सबके द्वेष है |


तिरंगे की चमक आज, फीकी है पड़ चली,
रोजी रोटी के नाम पर , आंधी ये कैसी चल पड़ी,
उड़ा न ले जाये आशियाना कही , आंधी ये खुन्कार है,
हे राम तेरे देश में, आज अन्धकार ही अन्धकार है |


डिम्पल शर्मा

6 comments:

  1. यार अपनी टूटी सी पोएट्री se मैं भी कुछ जोड़ता हु

    जब जियेंगे हम मिलकर
    न देखें कोई धर्म , न कोई जात
    फिर बनेगी देश की कोई बात
    अन्धकार मिटाकर करना है नया सवेरा
    तब जाकर होगा भारत रोशन , हमारा बसेरा

    - Kapil Garg

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  2. अवश्य ही होगा हमारा सपना साकार,
    बस रखना अटूट विश्वास, एक दूजे पर यार ,
    जिस दिन लहराएगा, तिरंगे का परचम,
    हँसते हुए मौत की गोद में सो जायेंगे हम |

    बस यही सपना है हमारा,
    सबसे ऊँचा हो तिरंगा हमारा,
    नतमस्तक होगी दुनिया, जब तिरंगे की शान पर,
    मर सकेंगे हम , गर्व से सीना तन कर

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  3. bauhat uchch vichaar hain aapke......

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  4. dost achchhi kosish hai , jari rakhe. lekin shuddhta par dhyan de to aur nikhar aayega

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  5. Thank you for this post; very, very helpful. Wishing you blessings and health.

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  6. Blogging is that the new poetry. I notice it terrific and wonderful in some ways.

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