बहुत दिनों से सोचा , की कुछ ऐसा लिखू,
जिस माट्टी में जनम लिया, शोभा उसकी बड़ा सकू
बुलंद होंसलो से में, आवाज को उठा सकू ,
लेकिन ये सोचा न था , बेठे है द्रोही इसकी गोद में,
दबे है खुद , दबायेंगे तुझे ,
भ्रस्त्ताचार, लोभ, माया ये |
जिस देश में गुरु इश्वर था ,
मानवता थी, प्यार था ,
आज चारो तरफ अन्धकार ही अन्धकार है
राम रहीम के देश में,
आज अन्याय है, दुराचार है |
संस्कृति की रक्षा के नाम पर,
कट्टरपंथियों का बोल बाला है,
बेक़सूर पिस्ता जा रहा,
दोषी हो रहा बलवान है |
हे राम , तेरे देश में आज अन्धकार ही अन्धकार है
राम राज के नाम पर, मांगे है ये वोट सभी ,
रामराज का तो पता नही , राम रहीम को लडाते है यही,
मंदिर मस्जिद की लडाई में,
आज पिस रहा निर्दोष है ,
आज चारो तरफ अशांति है,
मन में सबके द्वेष है |
तिरंगे की चमक आज, फीकी है पड़ चली,
रोजी रोटी के नाम पर , आंधी ये कैसी चल पड़ी,
उड़ा न ले जाये आशियाना कही , आंधी ये खुन्कार है,
हे राम तेरे देश में, आज अन्धकार ही अन्धकार है |
डिम्पल शर्मा
यार अपनी टूटी सी पोएट्री se मैं भी कुछ जोड़ता हु
ReplyDeleteजब जियेंगे हम मिलकर
न देखें कोई धर्म , न कोई जात
फिर बनेगी देश की कोई बात
अन्धकार मिटाकर करना है नया सवेरा
तब जाकर होगा भारत रोशन , हमारा बसेरा
- Kapil Garg
अवश्य ही होगा हमारा सपना साकार,
ReplyDeleteबस रखना अटूट विश्वास, एक दूजे पर यार ,
जिस दिन लहराएगा, तिरंगे का परचम,
हँसते हुए मौत की गोद में सो जायेंगे हम |
बस यही सपना है हमारा,
सबसे ऊँचा हो तिरंगा हमारा,
नतमस्तक होगी दुनिया, जब तिरंगे की शान पर,
मर सकेंगे हम , गर्व से सीना तन कर
bauhat uchch vichaar hain aapke......
ReplyDeletedost achchhi kosish hai , jari rakhe. lekin shuddhta par dhyan de to aur nikhar aayega
ReplyDeleteThank you for this post; very, very helpful. Wishing you blessings and health.
ReplyDeleteBlogging is that the new poetry. I notice it terrific and wonderful in some ways.
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