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Saturday, October 30, 2010

बेरोजगारी या फिर कुशल व निपुन कर्मचरियो कि कमी ???

आज जब मेनै अखबार पढ़ा, तो समझ मे ही नही आया कि मै एक ही देश कि खबरे पढ़ रहा हू..


खबरे थी, भारतीये सेना को खल रही है ११२३८ अफसरो की कमी व दूसरी खबर थी शिक्षित बेरोजगार युवको ने किया विधानसभा का घेराव., सिरफ सेना को ही नही, देश की अन्य औद्योगिक इकाइयो जैसे कि सुचना प्रोयोधिकी, ओतोमोबाइल, फारमासुतिकल कम्पनियो को भी कुशल व निपुन कर्मचारियो की कमी खल रही है | क्या भारतीय युवको मे योग्यता का अभाव  है ?

ऐसा नही है, कमी है तो इस देश की शिक्षा प्रनाली मे..यदि मै ऐसा कहू कि देश मे पदे लिखी मशीने तेयार की जारी है , जिनकी की काल्पनिक सोच व रचनात्मकता शुन्य है, तो कोइ बुराइ नही  होगी|  

एक कहावत है की जब तक हीरे को घिसा नही जाये, उसमे चमक नही आती, उसी तरह हमारे  देश के हीरो को जब तक किताबी गयान और पाठ्यक्रम की कैद से निकाल कर ,रचनात्मक शकती से सम्पुर्न नही किय जायेगा, इन हीरो की चमक अधूरी ही रहेगी |
उधारन के तोर पर अध्यापक महोदय कक्षा मे प्रशन पुछते है कि सविधान मे कितने मौलिक अधिकार है, छात्र भी याद किया हुआ उत्तर देता है कि सर ६ है, लेकिन अध्यापक महोदय ये नही पूछ्ते कि आप को क्या लगता है, कि
ये अधिकार काफी है, आपको क्या लगता है कि कोन सा अधिकार समाप्त कर देना चाहिये या फिर और कौन सा नया अधिकार सम्मिलित करना चाहिये ?? यही वजह है कि हमारे देश के विद्याथियो की सोचने की शक्ति शुन्य है, कोइ भी नया सीखने की बात नही करता, पाठ्यक्रम से बाहर सोचने
को छात्र समय की बर्बादी सम्झ्ते है...

पाठ्यक्रम भी ऐसा तैयार किया हुआ होता है कि नयी प्रोद्योगिकी से १० वर्ष पिछे चल रहा होता है ओर यदी ऐसा ही चलता रहा, तो हमे सिर्फ हमे ऐसी मशीने ही तयार मिलेगी जो सिर्फ सीखा सिखाया काम ही करेगी.

इसलिये यदि सच मे देश की अर्थ व्यवस्था को सुचारु रुप से चलाना है, तो उद्योगो को सिर्फ मशीने नही, कुशल कर्मचारी प्रदान करने होगे | 

                                             - dimple  sharma

12 comments:

  1. बढ़िया पोस्ट !

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  2. इस नए और सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  3. सही कहा आप ने| धन्यवाद|

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  4. चीज़ों को समझना शुरु करना, चीज़ों को बदलने की दिशा में पहला कदम होता है। थोड़ा सा वर्तनी पर ध्यान दीजिए।

    शुक्रिया।

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  5. धन्यवाद अनुपम जी

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  6. धन्यवाद Sangita जी व Patali जी

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  7. समय जी, आप का बहुत धन्यवाद, मै भविश्य मे अवश्य ही इस का ध्यान रखुन्गा....

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  8. पदे लिखी मशीने तेयार की जारी है , जिनकी की काल्पनिक सोच व रचनात्मकता शुन्य है.....
    जब तक हीरे को घिसा नही जाये, उसमे चमक नही आती
    रचनात्मकता जरुरी

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  9. सही कहा आपने श्री मान,
    उम्मीद है बदलाव की, जो अवश्य ही आएगी,
    चारो और खुशहाली होगी, उमंग नयी छाएगी,
    हर रात के बाद सवेरा होता है, ये काली घटा भी हट जाएगी,
    देश के युवक कुशल होंगे, निपुंता भी आ जाएगी......

    और उम्मीद यही है की देश में शिक्षा का स्तर सुधरे...

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  10. आपका हिंदी ब्लॉग्गिंग में स्वागत है !!

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  11. Best Wishes....
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