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Monday, November 1, 2010

शहीदों की आवाज



आदर्श सोसाइटी घोटाले पर मेरी कविता के रूप में टिपण्णी 




आज मेरी कलम भी, लिखते हुए रो पड़ी,
उसने ये सोचा न था, ये दिन भी आएगा,
देश के रखवालो को ही, ये देश धोखा दे जायेगा |

आँखे नम हो गयी आज  उनकी भी, 
जो मौत से न डरे थे,
देश की रक्षा के लिए ,
जो कारगिल जाकर लड़े थे |

ऐसा होगा उनके साथ,
ये उन्होंने भी न सोचा था,
दो गज जमीन के लिए, 
उनके परिवारों को दिया धोखा आज |

वाह रे मेरे देश के नेता, 
क्या खूब नाम तुने कमाया है,
देश के लिए शहीद होने वालो ने,
क्या पुरस्कार तुमसे पाया है,
शहीदों ने अपनी नहीं, अपने परिवार की ख़ुशी मांगी थी,
पर वो तो बेचारे मुर्ख थे, जो हँसते हँसते मर गये,
आज उनके परिवार, दो गज जमीन से भी वंचित रहे |

-------डिम्पल शर्मा 

8 comments:

  1. देश को हमने भी दी है थोड़ी चोट
    आखिर हम ही चुनते हैं ये नेता
    दे के अपना वोट
    बहकावे में न आकर अगर चुने हम सही नेता
    तभी हम कह सकेंगे भारत को एक विजेता

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  2. धन्यवाद डिम्पल. तुम्हारी रचनायें भी सराहनीय हैं.

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  3. बहुत सही लिखा है आपने| नेताओ ने हमारे वीर शहीदों की कुर्बानियों को भुला दिया है|

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  4. धन्यवाद् नेहा जी , काश हमारे देश के नेता भी कुछ समझे

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  5. धन्यवाद् रविन्द्र जी

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  6. very touching lines dear, doing great job...

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  7. gud 1...i hope evry politician shud undrstand d sacrifice made by our gr8 soldiers...nd dis issue realy needs consideration..
    KAVITA---

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