adban

Wednesday, November 3, 2010

आज का बेरोजगार मिर्जा


मिर्जा साहिबा के बारे में तो आप सब ने पढ़ा ही होगा, इस कविता में मैंने ये दर्शाने का प्रयास किया है की यदि मिर्जा साहिबा इस सदी में होते, तो उन्हें उन्हें किन किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता , हास्य में ही सही , पर मैंने सच्चाई प्रकट करने का प्रयास किया है |
कल नींद में एक स्वप्न आया,
मिर्जा फिर से मानव रूप में आया,
पर इस बार साहिबा उसके साथ थी,
दोनों को ही प्रेम से ज्यादा, 
नौकरी की तलाश थी |

इस जन्म ना जाति ही कोई बाधा है,
ना परिवार को विरोध है,
बस डिग्री और नौकरी ही,
उनके प्यार में एकमात्र अवरोध है |

मिर्जे को पहले पूरे  करने पिता के सपने है,
शादी से पहले, पढाई के कर्जे चुकते करने है |

इस जन्म मिर्जे को ,साहिबा के भाइयो का डर नहीं,
वो तो खुद ३०२ और पुलिस से डरते है,
बस डर है तो, अच्छी नौकरी व  तनख्वा का,
पुरे करने ग्रहस्थी के खर्चे है  |

बिजली, पानी, भोजन सब धनं से ही मिलता है,
स्वंय तो गुजारा कर भी लूँ ,
पर साहिबा  का हार श्रृंगार ,
आज कल हजारो रूपये में मिलता है ,
यही सोच कर मिर्जा बेबस और उदास है,
विवाह से पहले उसे अच्छी नौकरी की तलाश है |

अब साहिबा भी मिर्जे को चुरी नही खिला सकती ,
अब वो बेचारी भी क्या करे ,
ऍम.बी. ऐ की विद्यार्थी है,
कुकिंग नही आ सकती  |

अंत में यही कहंता चाहता हूँ कि

भले ही समय बदल गया, 
पर परेशानिया कम ना हुई,
समाज तो सुधर गया, 
पर आर्थिक मंध्हाली कम ना हुई |

------------डिम्पल शर्मा ------

29 comments:

  1. Mr. Dimple please write something more about it

    ReplyDelete
  2. kya khub kaha hai aapne, bahut sunder rachna hai aapki

    ReplyDelete
  3. वाह साहब वाह बहुत खूब लिखा आपने !दीपमाला पर्व की बहुत बहुत बधाई हो ............

    ReplyDelete
  4. Great Mr. Dimple......keep going....all the very best.

    ReplyDelete
  5. धन्यवाद अमरजीत जी, आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये

    ReplyDelete
  6. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  7. बहुत खूब ......दीपावली की शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  8. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये .nice

    ReplyDelete
  9. उधर धनतेरस में इतनी बिक्री और इधर आर्थिक मंदी का ये आलम!

    ReplyDelete
  10. यही तो इस देश की मंध्हाली है,
    अमीर की जेब भरी हुई ,
    बेचारे गरीब की खाली है

    ReplyDelete
  11. इस सुंदर और व्यंगात्मक कविता के लिए शुभकामनाऐं।।

    ReplyDelete
  12. धन्यवाद.

    एक अच्छी कविता के लिए बधाई.

    रूपसिंह चन्देल

    ReplyDelete
  13. dhnyavad........apkobhi diwali ki shubh kamnaye.

    ReplyDelete
  14. अति उत्तम
    आपको और आपके शुभचिंतकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  15. सही सोचा आपने, आज कल तो इंसान की जिंदगी पढाई से शुरू हो जाती है व नौकरी पर आकर ख़तम हो जाती है, ऐसे ही लिखते रहिये मेरी शुभकामनाये

    ReplyDelete
  16. उत्तम रचना।

    चिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
    हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
    अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
    प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
    सादर,
    मनोज कुमार

    ReplyDelete
  17. बदलते परिवेश मैं,
    निरंतर ख़त्म होते नैतिक मूल्यों के बीच,
    कोई तो है जो हमें जीवित रखे है ,
    जूझने के लिए प्रेरित किये है,
    उसी प्रकाश पुंज की जीवन ज्योति,
    हमारे ह्रदय मे सदैव दैदीप्यमान होती रहे,
    यही शुभकामना!!
    दीप उत्सव की बधाई...........

    ReplyDelete
  18. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद

    ReplyDelete
  19. its really nice nd even i want you to write sth more abt it......

    ReplyDelete
  20. thnks nikita, u will definitely get a new poem with similar topic soon......... keep reading...

    ReplyDelete
  21. Great article, Thanks for your great information, the content is quiet interesting. I will be waiting for your next post.

    ReplyDelete
  22. Hey keep posting such good and meaningful articles.

    ReplyDelete
  23. I am extremely impressed along with your writing abilities and also with the format in your blog. Anyway stay up to the excellent high quality writing, it's rare to find a nice weblog like this one these days.

    ReplyDelete
  24. Thank you for this post; very, very helpful. Wishing you blessings and health.

    ReplyDelete